Construction of Mahatma Gandhi Setu ( Bridge) in Patna, Bihar ( India) : Full of Corruption
1) निम्न गुणवत्ता स्टील का उपयोग- महात्मा गांधी सेतु को निम्न गुणवत्ता वाले स्टील और अनुबंध/contract के खिलाफ बनाया जा रहा है।
अनुबंध के अनुसार जंग-प्रूफ, अधिक ताकतवर और जनता/मीडिया के लिए ज्ञात/ बहुपरचारित मजबूत स्टील के स्थान पर परियोजना के 70% लागत की 1000 करोड़ रुपए की 70000 एमटी सामान्य, गैर जंग प्रूफ स्टील खरीद की जा रही है।
2) Dismantling of Superstructure - टुकड़ों- टुकड़ों मे़ सेगमेंट को काटने की जगह (ताकि गंगा नदी /गंगा बेड पर कोई मलबे न गिरे), पुल की आधे से अधिक लंबाई के मलबे को गिरने दिया गया और इसलिए अनुबंध के विपरीत, पर्यावरण और गंगा प्रदूषण और इस तरह गलत भुगतान किया गया।
3) देरी- एक लेन पूर्ण होने की मूल समय सीमा नवंबर, 2018 है ,लेकिन स्वीकार्य गुणवत्ता के अनुसार काम होने पर कम से कम 1 वर्ष की देरी होगी लेकिन सरकार बता रही है कि केवल 6 महीने की देरी हो सकती है और यह लेन मई-जून, 201 9 में खोला जाएगा।
जून, 2019 में 1 लेन खोलने की घोषणा करना अगले साल चुनाव होने के कारण राजनीतिक हथकंडा है।
4) क्या हम इतनी लागत के बाद फिर वही मूल कमजोर संरचना का निर्माण कर रहे हैं ?
5) आरसीडी (सड़क निर्माण विभाग,बिहार ) जो कि पुराने पूल का भी पर्यवेछक और मालिक/owner (तब पीडब्लूडी,बिहार) तथा निगरानी भी कर रहा था, ने इस परियोजना को भी बर्बाद कर दिया है क्योंकि एमओआरटीएच/MoRTH आरसीडी/RCDके माध्यम से परियोजना कार्यान्वित कर रहा है और इसका( MoRTH का) आरसीआरसीडी/RCD द्वारा अनुमोदित राशि का भुगतान करने के अलावा लगभग कोई भूमिका नहीं है।
6) पर्यवेक्षण सलाहकार/Supervision Consultant के चयन में बहुत भ्रष्टाचार है (इसके एक साथी Chaitanya Consultancy, पीएमजीएसवाई/PMGSY सड़कों के लिए भी उपयुक्त नहीं है)।
सूरत ब्रिज में उक्त ब्रिज का collapse तथा 7 लोगों की मौत के लिए उत्रदायी सूरत नगर निगम द्वारा ब्लैकलिस्टेड पर्यवेक्षण और डिजाइन Consultants तथा यहां तक कि हमारे स्वयं के आरसीडी, बिहार द्वारा ब्लैकलिस्टेड भी इसमें शामिल हैं।
7) रूसी कंपनी सिबॉस्ट/Sibmost के साथ जेवी में मैसर्स Afcons काम के लिए सौंपा गया है। मैसर्स सिबॉस्ट ने कभी भी किसी भी डिजाइन से जुड़े मुद्दों या किसी भी मीटिंग में भाग नहीं लिया।
कोलकाता फ्लाईओवर पतन/collapse 2016 में यही मामला है जहां विदेशी जेवी/JV पार्टनर ने किसी भी डिजाइन से संबंधित मुद्दों में या किसी भी मीटिंग में भाग नही लिया। फलतः यह बड़ी देरी और अंततः पुल के पतन/collapse और 30 लोगों की हत्या का कारण बना। यहंँ भी कभी भी वही घटना/Disaster हो सकती है।
8) पूर्वी लेन को बनाए रखना - जब पूर्वी लेन अपेक्षाकृत अच्छी है इसके लिए अलग से
शेष 12 स्पैन की मजबूती के लिए पहले से 20 करोड़ का Tender मिल गया है, तो ऐसा क्यों नहीं किया गया ?
जब बगल में समानांतर पुल बनने जा रहा है, तो इस लेन को हल्के वाहनों के लिए छोड़ा जा सकता है ताकि बड़ी लागत बचाई जा सके और इस इंजीनियरिंग मार्वल को बनाए रखा जा सके।
Regards,
I N Mishra Former Resident Engineer cum Bridge/Structures specialist, Mahatma Gandhi Setu,Patna Mobile:7303169978
Construction of Mahatma Gandhi Setu ( Bridge) in Patna, Bihar ( India) : Full of Corruption
1) निम्न गुणवत्ता स्टील का उपयोग- महात्मा गांधी सेतु को निम्न गुणवत्ता वाले स्टील और अनुबंध/contract के खिलाफ बनाया जा रहा है।
अनुबंध के अनुसार जंग-प्रूफ, अधिक ताकतवर और जनता/मीडिया के लिए ज्ञात/ बहुपरचारित मजबूत स्टील के स्थान पर परियोजना के 70% लागत की 1000 करोड़ रुपए की 70000 एमटी सामान्य, गैर जंग प्रूफ स्टील खरीद की जा रही है।
2) Dismantling of Superstructure - टुकड़ों- टुकड़ों मे़ सेगमेंट को काटने की जगह (ताकि गंगा नदी /गंगा बेड पर कोई मलबे न गिरे), पुल की आधे से अधिक लंबाई के मलबे को गिरने दिया गया और इसलिए अनुबंध के विपरीत, पर्यावरण और गंगा प्रदूषण और इस तरह गलत भुगतान किया गया।
3) देरी- एक लेन पूर्ण होने की मूल समय सीमा नवंबर, 2018 है ,लेकिन स्वीकार्य गुणवत्ता के अनुसार काम होने पर कम से कम 1 वर्ष की देरी होगी लेकिन सरकार बता रही है कि केवल 6 महीने की देरी हो सकती है और यह लेन मई-जून, 201 9 में खोला जाएगा।
जून, 2019 में 1 लेन खोलने की घोषणा करना अगले साल चुनाव होने के कारण राजनीतिक हथकंडा है।
4) क्या हम इतनी लागत के बाद फिर वही मूल कमजोर संरचना का निर्माण कर रहे हैं ?
5) आरसीडी (सड़क निर्माण विभाग,बिहार ) जो कि पुराने पूल का भी पर्यवेछक और मालिक/owner (तब पीडब्लूडी,बिहार) तथा निगरानी भी कर रहा था, ने इस परियोजना को भी बर्बाद कर दिया है क्योंकि एमओआरटीएच/MoRTH आरसीडी/RCDके माध्यम से परियोजना कार्यान्वित कर रहा है और इसका( MoRTH का) आरसीआरसीडी/RCD द्वारा अनुमोदित राशि का भुगतान करने के अलावा लगभग कोई भूमिका नहीं है।
6) पर्यवेक्षण सलाहकार/Supervision Consultant के चयन में बहुत भ्रष्टाचार है (इसके एक साथी Chaitanya Consultancy, पीएमजीएसवाई/PMGSY सड़कों के लिए भी उपयुक्त नहीं है)।
सूरत ब्रिज में उक्त ब्रिज का collapse तथा 7 लोगों की मौत के लिए उत्रदायी सूरत नगर निगम द्वारा ब्लैकलिस्टेड पर्यवेक्षण और डिजाइन Consultants तथा यहां तक कि हमारे स्वयं के आरसीडी, बिहार द्वारा ब्लैकलिस्टेड भी इसमें शामिल हैं।
7) रूसी कंपनी सिबॉस्ट/Sibmost के साथ जेवी में मैसर्स Afcons काम के लिए सौंपा गया है। मैसर्स सिबॉस्ट ने कभी भी किसी भी डिजाइन से जुड़े मुद्दों या किसी भी मीटिंग में भाग नहीं लिया।
कोलकाता फ्लाईओवर पतन/collapse 2016 में यही मामला है जहां विदेशी जेवी/JV पार्टनर ने किसी भी डिजाइन से संबंधित मुद्दों में या किसी भी मीटिंग में भाग नही लिया। फलतः यह बड़ी देरी और अंततः पुल के पतन/collapse और 30 लोगों की हत्या का कारण बना। यहंँ भी कभी भी वही घटना/Disaster हो सकती है।
8) पूर्वी लेन को बनाए रखना - जब पूर्वी लेन अपेक्षाकृत अच्छी है इसके लिए अलग से
शेष 12 स्पैन की मजबूती के लिए पहले से 20 करोड़ का Tender मिल गया है, तो ऐसा क्यों नहीं किया गया ?
जब बगल में समानांतर पुल बनने जा रहा है, तो इस लेन को हल्के वाहनों के लिए छोड़ा जा सकता है ताकि बड़ी लागत बचाई जा सके और इस इंजीनियरिंग मार्वल को बनाए रखा जा सके।
Regards,
I N Mishra Former Resident Engineer cum Bridge/Structures specialist, Mahatma Gandhi Setu,Patna
Construction of Mahatma Gandhi Setu ( Bridge) in Patna, Bihar ( India) : Full of Corruption
ReplyDelete1) निम्न गुणवत्ता स्टील का उपयोग- महात्मा गांधी सेतु को निम्न गुणवत्ता वाले स्टील और अनुबंध/contract के खिलाफ बनाया जा रहा है।
अनुबंध के अनुसार जंग-प्रूफ, अधिक ताकतवर और जनता/मीडिया के लिए ज्ञात/ बहुपरचारित मजबूत स्टील के स्थान पर परियोजना के 70% लागत की 1000 करोड़ रुपए की 70000 एमटी सामान्य, गैर जंग प्रूफ स्टील खरीद की जा रही है।
2) Dismantling of Superstructure - टुकड़ों- टुकड़ों मे़ सेगमेंट को काटने की जगह (ताकि गंगा नदी /गंगा बेड पर कोई मलबे न गिरे), पुल की आधे से अधिक लंबाई के मलबे को गिरने दिया गया और इसलिए अनुबंध के विपरीत, पर्यावरण और गंगा प्रदूषण और इस तरह गलत भुगतान किया गया।
3) देरी- एक लेन पूर्ण होने की मूल समय सीमा नवंबर, 2018 है ,लेकिन स्वीकार्य गुणवत्ता के अनुसार काम होने पर कम से कम 1 वर्ष की देरी होगी लेकिन सरकार बता रही है कि केवल 6 महीने की देरी हो सकती है और यह लेन मई-जून, 201 9 में खोला जाएगा।
जून, 2019 में 1 लेन खोलने की घोषणा करना अगले साल चुनाव होने के कारण राजनीतिक हथकंडा है।
4) क्या हम इतनी लागत के बाद फिर वही मूल कमजोर संरचना का निर्माण कर रहे हैं ?
5) आरसीडी (सड़क निर्माण विभाग,बिहार ) जो कि पुराने पूल का भी पर्यवेछक और मालिक/owner (तब पीडब्लूडी,बिहार) तथा निगरानी भी कर रहा था, ने इस परियोजना को भी बर्बाद कर दिया है क्योंकि एमओआरटीएच/MoRTH आरसीडी/RCDके माध्यम से परियोजना कार्यान्वित कर रहा है और इसका( MoRTH का) आरसीआरसीडी/RCD द्वारा अनुमोदित राशि का भुगतान करने के अलावा लगभग कोई भूमिका नहीं है।
6) पर्यवेक्षण सलाहकार/Supervision Consultant के चयन में बहुत भ्रष्टाचार है (इसके एक साथी Chaitanya Consultancy, पीएमजीएसवाई/PMGSY सड़कों के लिए भी उपयुक्त नहीं है)।
सूरत ब्रिज में उक्त ब्रिज का collapse तथा 7 लोगों की मौत के लिए उत्रदायी सूरत नगर निगम द्वारा ब्लैकलिस्टेड पर्यवेक्षण और डिजाइन Consultants तथा यहां तक कि हमारे स्वयं के आरसीडी, बिहार द्वारा ब्लैकलिस्टेड भी इसमें शामिल हैं।
7) रूसी कंपनी सिबॉस्ट/Sibmost के साथ जेवी में मैसर्स Afcons काम के लिए सौंपा गया है। मैसर्स सिबॉस्ट ने कभी भी किसी भी डिजाइन से जुड़े मुद्दों या किसी भी मीटिंग में भाग नहीं लिया।
कोलकाता फ्लाईओवर पतन/collapse 2016 में यही मामला है जहां विदेशी जेवी/JV पार्टनर ने किसी भी डिजाइन से संबंधित मुद्दों में या किसी भी मीटिंग में भाग नही लिया। फलतः यह बड़ी देरी और अंततः पुल के पतन/collapse और 30 लोगों की हत्या का कारण बना। यहंँ भी कभी भी वही घटना/Disaster हो सकती है।
8) पूर्वी लेन को बनाए रखना - जब पूर्वी लेन अपेक्षाकृत अच्छी है इसके लिए अलग से
शेष 12 स्पैन की मजबूती के लिए पहले से 20 करोड़ का Tender मिल गया है, तो ऐसा क्यों नहीं किया गया ?
जब बगल में समानांतर पुल बनने जा रहा है, तो इस लेन को हल्के वाहनों के लिए छोड़ा जा सकता है ताकि बड़ी लागत बचाई जा सके और इस इंजीनियरिंग मार्वल को बनाए रखा जा सके।
Regards,
I N Mishra
Former Resident Engineer cum Bridge/Structures specialist, Mahatma Gandhi Setu,Patna
Mobile:7303169978
Construction of Mahatma Gandhi Setu ( Bridge) in Patna, Bihar ( India) : Full of Corruption
ReplyDelete1) निम्न गुणवत्ता स्टील का उपयोग- महात्मा गांधी सेतु को निम्न गुणवत्ता वाले स्टील और अनुबंध/contract के खिलाफ बनाया जा रहा है।
अनुबंध के अनुसार जंग-प्रूफ, अधिक ताकतवर और जनता/मीडिया के लिए ज्ञात/ बहुपरचारित मजबूत स्टील के स्थान पर परियोजना के 70% लागत की 1000 करोड़ रुपए की 70000 एमटी सामान्य, गैर जंग प्रूफ स्टील खरीद की जा रही है।
2) Dismantling of Superstructure - टुकड़ों- टुकड़ों मे़ सेगमेंट को काटने की जगह (ताकि गंगा नदी /गंगा बेड पर कोई मलबे न गिरे), पुल की आधे से अधिक लंबाई के मलबे को गिरने दिया गया और इसलिए अनुबंध के विपरीत, पर्यावरण और गंगा प्रदूषण और इस तरह गलत भुगतान किया गया।
3) देरी- एक लेन पूर्ण होने की मूल समय सीमा नवंबर, 2018 है ,लेकिन स्वीकार्य गुणवत्ता के अनुसार काम होने पर कम से कम 1 वर्ष की देरी होगी लेकिन सरकार बता रही है कि केवल 6 महीने की देरी हो सकती है और यह लेन मई-जून, 201 9 में खोला जाएगा।
जून, 2019 में 1 लेन खोलने की घोषणा करना अगले साल चुनाव होने के कारण राजनीतिक हथकंडा है।
4) क्या हम इतनी लागत के बाद फिर वही मूल कमजोर संरचना का निर्माण कर रहे हैं ?
5) आरसीडी (सड़क निर्माण विभाग,बिहार ) जो कि पुराने पूल का भी पर्यवेछक और मालिक/owner (तब पीडब्लूडी,बिहार) तथा निगरानी भी कर रहा था, ने इस परियोजना को भी बर्बाद कर दिया है क्योंकि एमओआरटीएच/MoRTH आरसीडी/RCDके माध्यम से परियोजना कार्यान्वित कर रहा है और इसका( MoRTH का) आरसीआरसीडी/RCD द्वारा अनुमोदित राशि का भुगतान करने के अलावा लगभग कोई भूमिका नहीं है।
6) पर्यवेक्षण सलाहकार/Supervision Consultant के चयन में बहुत भ्रष्टाचार है (इसके एक साथी Chaitanya Consultancy, पीएमजीएसवाई/PMGSY सड़कों के लिए भी उपयुक्त नहीं है)।
सूरत ब्रिज में उक्त ब्रिज का collapse तथा 7 लोगों की मौत के लिए उत्रदायी सूरत नगर निगम द्वारा ब्लैकलिस्टेड पर्यवेक्षण और डिजाइन Consultants तथा यहां तक कि हमारे स्वयं के आरसीडी, बिहार द्वारा ब्लैकलिस्टेड भी इसमें शामिल हैं।
7) रूसी कंपनी सिबॉस्ट/Sibmost के साथ जेवी में मैसर्स Afcons काम के लिए सौंपा गया है। मैसर्स सिबॉस्ट ने कभी भी किसी भी डिजाइन से जुड़े मुद्दों या किसी भी मीटिंग में भाग नहीं लिया।
कोलकाता फ्लाईओवर पतन/collapse 2016 में यही मामला है जहां विदेशी जेवी/JV पार्टनर ने किसी भी डिजाइन से संबंधित मुद्दों में या किसी भी मीटिंग में भाग नही लिया। फलतः यह बड़ी देरी और अंततः पुल के पतन/collapse और 30 लोगों की हत्या का कारण बना। यहंँ भी कभी भी वही घटना/Disaster हो सकती है।
8) पूर्वी लेन को बनाए रखना - जब पूर्वी लेन अपेक्षाकृत अच्छी है इसके लिए अलग से
शेष 12 स्पैन की मजबूती के लिए पहले से 20 करोड़ का Tender मिल गया है, तो ऐसा क्यों नहीं किया गया ?
जब बगल में समानांतर पुल बनने जा रहा है, तो इस लेन को हल्के वाहनों के लिए छोड़ा जा सकता है ताकि बड़ी लागत बचाई जा सके और इस इंजीनियरिंग मार्वल को बनाए रखा जा सके।
Regards,
I N Mishra
Former Resident Engineer cum Bridge/Structures specialist, Mahatma Gandhi Setu,Patna